Sunday, 13 February 2022

कोऑपरेटिव सोसाइटी और उसके प्रकार - Cooperative Society and types of cooperative society in hindi

 कोऑपरेटिव सोसाइटी (सहकारी समिति) किसे कहते है?

कोआपरेटिव सोसाइटी एक एसी संस्था होती है जो मुनाफा कमा ने के लिए व्यवसाय नही करती। कोआपरेटिव सोसाइटी सदस्यों के फायदे के लिए काम करती है। 

ऐसी संस्था का मुख्य हेतु अपने सदस्यों की सहायता करना होता है। कोआपरेटिव सोसाइटी बनाने के लिए काम से कम 10 मेम्बेर्स होने चाहिए। 10 के ऊपर आप जितने चाहो उतने सदस्य बना सकते हो। 

कोआपरेटिव सोसाइटी सभी सदस्यों के पारस्परिक लाभ के लिए बनाई जाती है।

उदाहरण के लिए, किसान एक साथ आ सकते हैं और कोआपरेटिव सोसाइटी बनाकर संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं। जब वे एक साथ काम करेंगे तो उनके पास फटीलीज़र्स,यूरिया आदि  खरीदने के लिए सौदेबाजी की बेहतर शक्ति होगी। वे अपने उत्पन्दनो को अछी कीमत पर बेच सकेंगें।

कोआपरेटिव सोसाइटी के प्रकार- 

1. उपभोक्ता (Consumer) कोआपरेटिव सोसाइटी-

यह एक ऐसा संगठन होता है जो थोक में या तो निर्माता से या हॉलसेलर से सामान खरीदता है और उन सामानों को अपने सदस्यों को कम मात्रा में और बहुत ही उचित दर पर बेचता है।

इसलिए इसके सदस्यो को बाजार दर की तुलना में सस्ती दर पर सामान मिलता है।

सदस्यों को सोसाइटी द्वारा किए गए सालाना मुनाफे से बोनस का भुगतान भी किया जाता है।

2. क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी (सहकारी वित्तीय समिति)

इस सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य सदस्यों को कम ब्याज पर ऋण देना होता है। क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी का उद्देश्य अपने सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का होता है, जब उन्हें उसकी आवश्यकता होती है।

3 मार्केटिंग कोआपरेटिव सोसाइटी

यह एक ऐसी सोसाइटी होती है जो अपने सदस्यों को विपणन सहायता प्रदान करती हैं। 

सदस्यों का उत्पादन मार्केटिंग कोआपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से एकत्रित करके केंद्रीय रूप से बेचा जाता है। 

मार्केटिंग कोआपरेटिव सोसाइटी अपने सदस्यों के लिए सभी विपणन कार्य जैसे ग्रेडिंग, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, विज्ञापन, परिवहन इत्यादि करती है।

4 हाउसिंग कोआपरेटिव सोसाइटी 

यह एक ऐसी संस्था होती है जिसमे सारे सदस्य एक साथ आते हैं और भूमि का एक टुकड़ा खरीदते हैं और फिर उसे एक आवासीय इमारत के रूप में विकसित करते हैं। इसके बाद इमारत के फ्लैट्स सदस्यों को आवंटित किए जाते हैं 

5 प्रोड्यूसर्स कोआपरेटिव सोसाइटी

यह संस्था छोटे उत्पादकों द्वारा बनाई जाती है।

प्रोड्यूसर्स कोआपरेटिव सोसाइटी अपने सदस्यों को आधुनिक उपकरण और आधुनिक तकनीक प्रदान करती हैं ताकि वे बड़े उत्पादकों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।

Tuesday, 21 December 2021

Economic and Non-Economic Activities | ICSE | Class 9 | Economics

 Economic Activities refer to all those activities which are concerned with money or wealth.

The main purpose of such activities is to satisfy human wants. For example, a person running a shop or a person doing a job. Both these activities are economic activities as both these activities are carried out with an intention to earn some money. Also, both these activities are carried out with an intention of satisfying human wants like Food, Clothing, Shelter, etc. These wants are satisfied by money earnt by carrying out the above-mentioned economic activities.

Any economic activity has to be carried out within rules and regulations of the society.

Elements of economic activities-

1. Economic activities are human activities which are concerned with money or wealth.

2. The main objective of any economic activity is to satisfy human wants.

3. It is an activity which is concerned with the production, consumption, distribution and exchange of economic goods. Economic goods are goods which possess utility and are scarce as in comparison to their demand

Non-Economic Activities- These are the activities which are not concerned with money or wealth.

Non-Economic activities can be-

1. Social Activities like attending a marriage

2. Political Activities like activities performed by political parties like BJP, Congress, etc.

3. Charitable Activities like helping poor

4. Religious Activities like worshipping

5. Recreational Activities like playing cricket

6. Parental Activities like activities carried out by parents for their children out of love and affection.

If any of the above activities involve money or wealth, such an activity will become an economic activity. For example, footballer playing football just for recreation is a non-economic activity. But when he plays a football match for money, it is an economic activity.

In economics, we are concerned only with economic activities.


Saturday, 18 December 2021

सफल उद्यमी के गुण/विशेषताएं (Qualities of a Successul Entrepreneur in Hindi)

 एक सफल उद्यमी बनने के लिए निम्नलिखित गुण/विशेषताएं आवश्यक हैं।

Qualities of a Good Entrepreneur - in Hindi

1. कड़ी मेहनत - सफल बनने के लिए यह जरूरी है कि उद्यमी कड़ी मेहनत करने वाला व्यक्ति हो। यह सही कहा गया है कि 'कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है '। जो उद्यमी कड़ी मेहनत से डरते हैं उन्हें कभी सफलता नहीं मिलती है। वे कभी भी जोखिम उठाने की हिम्मत नहीं जुटा सकते। किसी भी काम की सफलता में प्रतिभा की भूमिका एक प्रतिशत होती है जबकि कड़ी मेहनत की भूमिका निन्यानवे प्रतिशत होती है।

2. सतर्कता - एक उद्यमी में सतर्कता होनी चाहिए। उसे अपने प्रतिद्वंद्वियों की गतिविधियों, नए तकनीकी परिवर्तनों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों और व्यावसायिक वातावरण में हो रहे बदलावों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। कठिन प्रतियोगिता के इस युग में, केवल सूचित और सतर्क उद्यमियों को ही उनके कार्यों में सफलता हासिल होती है।

3. आशावाद - एक उद्यमी को आशावादी होना चाहिए। उसे असफलताओं और विपरीत परिस्थितियों से निराश नहीं होना चाहिए। उसे अपने काम में पिछली गलतियों से सबक सीखना चाहिए और फिर से अपने काम में गंभीरता से जुट जाना चाहिए।

4. प्रभावशाली व्यक्तित्व - एक उद्यमी का व्यक्तित्व प्रभावशाली होना चाहिए। इसके लिए गंभीरता, धैर्य, आत्मविश्वास, चतुरता, अच्छी ड्रेसिंग तथा उत्साह आवश्यक हैं।

5. परिपक्वता - एक उद्यमी मानसिक रूप से परिपक्व होना चाहिए। उसके पास अपनी जिम्मेदारी को समझने और पूरा करने की क्षमता होनी चाहिए।

6. ईमानदारी - एक उद्यमी में ईमानदारी होनी चाहिए। बेईमानी और धोखा देना केवल एक बार लाभदायक साबित हो सकता है, लेकिन बार-बार नहीं।

7. दूसरों का सम्मान - एक उद्यमी में हमेशा सम्मान की भावनाएं होनी चाहिए, जिसका अर्थ है कि उसे सभी के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए। जो लोग दूसरों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करते हैं, एक अर्थ में खुद का सम्मान करते हैं।

8. रिस्क टैकर (जोखिम लेने वाला)- जोखिम लेना एक अच्छे उद्यमी का सबसे महत्वपूर्ण गुण है। उद्यमी जोखिम लेने में सक्षम होना चाहिए। जोखिम उठाना एक उद्यमी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।

Monday, 23 August 2021

मांग के प्रकार (Types of Demand - in Hindi) (mang ke prakar) - अर्थशास्त्र (Economics)

Mang ke Prakar. Types of Demand in Hindi
निम्नलिखित मांग के कुछ अलग-अलग प्रकार हैं-

1. संयुक्त मांग - जिन उत्पादों की संयुक्त रूप से मांग की जाती है उनकी मांग को संयुक्त मांग कहा जाता है। उदाहरण के लिए, स्याही कलम और स्याही। इन दोनो की संयुक्त रूप से मांग की जाती है। स्याही कलम के बिना स्याही की कोई मांग नहीं होगी और स्याही के बिना स्याही कलम की भी कोई मांग नहीं होगी।

2. प्रतिस्पर्धात्मक मांग - यह उन उत्पादों की मांग को दर्शाता है जो एक-दूसरे के करीबी विकल्प हो। उदाहरण के लिए, चाय और कॉफी। चाय और कॉफ़ी एक दूसरे के विकल्प है।

3. अप्रत्यक्ष मांग - जब किसी उत्पाद की मांग किसी भी अन्य उत्पाद की मांग पर निर्भर करती है, तो इस तरह की मांग को अप्रत्यक्ष कहा जाता है। उदाहरण के लिए, सीमेंट। सीमेंट की मांग स्वयं की खपत के लिए नहीं होती। सीमेंट की मांग आवास की मांग के कारण होती है। सीमेंट की मांग आवास की मांग पर निर्भर करती है। इस प्रकार सीमेंट हाउसिंग की मांग से अपनी मांग प्राप्त करती है।

4. प्रत्यक्ष मांग - यह उन उत्पादों की मांग को दर्शाता है जिनकी स्वयं की खपत के लिए मांग की जाती है। उदाहरण के लिए, सभी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स। इन उत्पादों की मांग किसी अन्य उत्पाद की मांग पर निर्भर नहीं होती है। इन उत्पादों का उपयोग सीधे उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए, वॉशिंग मशीन की मांग किसी अन्य उत्पाद की मांग पर निर्भर नहीं होती है। वॉशिंग मशीन का उपयोग सीधे उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है।

5. सामूहिक मांग - यह उन उत्पादों की मांग को दर्शाता है, जिनके कई उपयोग हैं। उदाहरण के लिए, बिजली, दूध आदि। इन उत्पादों के कई उपयोग हैं और विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, बिजली का उपयोग टीवी, वाशिंग मशीन, कंप्यूटर, संगीत प्रणाली आदि चलाने के लिए किया जाता है।

Saturday, 23 January 2021

Macro Economics-Meaning and Features | Class 12 | Class 11

Meaning of Macroeconomics-

The term "Macroeconomics" is a combination of two words "Makros" and "Economics". The term Macro is derived from the Greek word “Makros” which means large.

Macroeconomics is a study of aggregates. 

It is the branch of economics, which studies the behaviour of all economics units combined together. Microeconomics deals with the study of an individual economic unit. 

To make it simple, let's take the example of "Demand Analysis". Microeconomics deals with the study of Individual Demand (demand of an individual consumer) whereas macroeconomics deals with the study of Aggregate (Total) Demand. Aggregate Demand is the sum of the demands of all individuals in the economy.

Look at it this way:

Microeconomics is the study of individual trees, whereas macroeconomics is the study of forest as a whole.

Definition: -

“Macroeconomics deals not with individual quantities as such, but with aggregates of these quantities; not with individual incomes but with the national incomes; not with individual prices but with the price level; not with individual outputs but with the national output".

Features of macroeconomics are as follows:-

1. Study of aggregates: - Macroeconomics involves the study of the nation's economy as a whole. It is a study of economy-wide aggregates such as aggregate demand, aggregate supply, total employment, total investment, total consumption, etc.

2. Lumping method: - Macroeconomics uses the lumping method. In this method, economic units are lumped together and studied. For example, national income, aggregate demand etc. Individual units are ignored.

3. General equilibrium analysis: - Macroeconomic analysis is based on General Equilibrium Analysis. General equilibrium analyzes the economy as a whole, rather than analysing single markets. This analysis deals with the entire economy in the context of equilibrium. 

4. Income analysis: - Macroeconomics is also referred to as the theory of income and employment or simply income analysis. This is because the basic subject matter of macroeconomic analysis is to explain what determines the level of national income & employment and what causes fluctuations in them. It also explains the growth of national income over a long period of time.

5. Policy-oriented: - According to prominent economist Keynes, Macro-Economics is a policy-oriented science. Macro-Economics analysis is useful in formulating suitable economic policies to promote economic growth, to control inflation, to generate employment, to pull the economy out of recession etc.

6. Dynamic science: - Macro-Economics studies the changes in aggregate economic variables (like aggregate demand, aggregate supply, etc.) and analyses the dynamic nature of the economy. It helps us to study the progress of an economy over a period of time

Saturday, 9 January 2021

Stock Exchange Class 12 Secretrial Practice (SP)

A stock exchange is a specific place where trading of the securities is done in an organized method.

The term securities include equity shares, preference shares, debentures, government bonds, mutual funds, etc.

In simple words, the Stock Exchange is a place securities are purchased and sold.

The stock exchange is also referred to as ‘Stock Market’, ‘Share Market’, ‘Share Bazaar' or 'Securities Market'

The stock exchange  is like a commodity market where securities are bought and sold

The important features of a stock exchange are:

1. The stock exchange is a place where buyers and sellers of securities meet and decide on a price.

2. The stock exchange is a place where stocks or all types of securities are traded.

3. The stock exchange is at a physical location, where transactions are carried out on a trading floor. However, after the arrival of the internet, trading these days happen on online trading platforms and not on a trading floor.

4. The purpose of a stock exchange or stock market is to facilitate the exchange of securities between buyers and sellers, thus reducing the risk.

A stock exchange provides a platform or mechanism to the investors to purchase or sell the securities of the Companies, Government or Semi-Government institutions.